इत्तेफ़ाक
Author(s): स्पर्श आनंद
पीले रंग से रंगे हुए
एक कमरे की तन्हाई में
खुद से उलझा हुआ मैं,
दुनिया के रंगों रूप से आगे,
फलक में उड़ते परिंदों
के घर तलाश करती तुम,
और सुकून की तलाश में
दर ब दर भटकती
हम दोनों की आंखे।
किसी दूसरी दुनिया में
बैठे हुए है कुछ शक्श,
जिनके वजह से होते है
कुछ इत्तेफ़ाक
सितारे जिनके होने से
थोड़े ज्यादा रौशन है,
साथ जिनके होने से
सफर ए मुहब्बत थोड़ा
ज्यादा आसान लगता है।
उन्ही के वजह से
इत्तेफाकन
हम मिलते है दुबारा
और घटती है
दुनिया की सबसे
खूबसूरत घटना,
यानी
हमारी आंखे एक दूसरे से
टकरा जाती है,
और फिर
इस जीवन में
सब कुछ
अच्छा होने लगता है।
इत्तेफाकन,
शायद इसीलिए
कहा जाता है
दुनिया में जो होता है,
अच्छे के लिए होता है।
~स्पर्श