रूबरू

Author(s): Lovely Arya

बहुत समय बाद ऐसे बैठे थे हम,
सोचकर आज बातें करेंगे, भूलकर अपने गम।
मुस्कुराते हुए एक ने कहा…
“कल ही खबर आई थी सर,
कॉलेज में मेरा भाई आया है शीर्ष पर।”
“वाह! ये तो बहुत गर्व की बात है, आई खुशियों की सौगात है।”
“सर… बिटिया ने नाम रौशन किया है, खेल में स्वर्ण पदक लिया है…
लीजिए सर मुँह मीठा कीजिए…”
“माँ के हाथ की बनी मिठाई आई है, कल ही बहन की सगाई हुई ये पैगाम लाई है।”
“घर पर तो हो रहा होगा संगीत,तो क्या… हम भी गा लेंगे यहाँ खुशी के गीत।”
“बात तो सही कहा सर आपने… पता नहीं फिर भी क्यों आँखें नम है, वहाँ संगीत और बॉर्डर पर हम हैं।”
“आंखे नम न करो अपनी, हम सबसे खुशनसीब हैं,
सबकी खुशी है हमारी खुशी, बस हमारी दास्तान थोड़ी अजीब है।
जागते हैं हम यहाँ पर, लोग वहाँ चैन से सोते हैं,
हमारी जाँबाजी देख ही, नया सिपाही बोते हैं।
सिर्फ अपना ही नहीं ये देश हमारा परिवार है,
धरती माता के लिए , हर बार जान कुर्बान है।”

बात खत्म हुई नहीं थी कि…
दौड़ता हुआ सिपाही आया…”सर! सर!
आतंकवादियों ने अचानक हमला कर दिया है!
वो हमारे कैम्प की ओर बढ़े जा रहे हैं, हमारे कुछ सैनिक उनसे लड़े जा रहे हैं।
हजारों तादाद में हैं वो… और हम सिर्फ सौ!!”

“जवानों… तैयार हो जाओ, हमारी परीक्षा की घड़ी आई है, धरती हमारे लिए पैगाम लाई है।
चाहे हमारा सीना छलनी क्यों न हो जाए, एक भी दुश्मन बच न पाए!
धरती के हम हैं वीर, दुश्मन को कर देंगे चीर।
रुकना नहीं है अब वार कर, एक एक भारी पड़ो हजार पर.”
“Yes sir!!”
बिना रुके बिना झुके जवान बढ़ते गए,
दुश्मनों को खाक कर, उनको चीरते गए ।
भीषण राक्षस की भाँति बढ़ते जा रहे थे वो,
जवानों के शरीर पर ही फेंक रहे बम थे वो।
मगर माँ के बेटों को अब तक कौन ही रोक सका है,
जालिम लाख कर ले कोशिश, जल के ही खाक हुआ है।
“हैलो!! सिपाही क्या खबर है ?”

“सर! हजार भी न टिक पाए बेटों के सामने,
धरती की रक्षा में जान दे दी हर जवान ने।
दुश्मनों का एक टैंक हमारी ओर बढ़ रहा,
बम और बारूद से हमला वो कर रहा।
जान देने की बारी… अब मेरी आई है
जालिमों के सरदार ने माथे पर बंदूक लगाई है।
भारत… माता की जय!!”
“हैलो! सिपाही… हैलो!!”

खुद के शरीर को बम बना, कफन बांध माथे पर,
जकड़ लिया जालिम को वो, ले गया घसीटकर,
खुद पर ही वार कर, जालिम को खाक कर दिया ,
धरती के बेटों ने दुश्मनों को राख कर दिया।
चल पड़ा तिरंगा ले, लहरा वहाँ दिया उसे,
फिर से जंग जीत कर, माँ सलाम कर दिया तुझे।
झंडे को सलामी दे, गिर पड़ा जमीन पर,
दर्द थी सीने में, गुरूर था चेहरे पर।
सांसे धीरे चल रहीं थी,पर शरीर था न हिला,
अंतिम सांसे ले कह रहा था हमसे, कर चले हम फिदा… जानो तन साथियों… अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों।।

जय हिन्द!!