गुज़र
गुज़रते हालात जब वक़्त के साथ गुज़रने का नाम नहीं लेते हैं जब हर गुज़रता पल गुज़रता तो है मगर हमें उसे गुज़ारना पड़ता है दिन गुज़रता है, शाम गुज़रती है मगर ये रात क्यूँ नहीं गुज़रती? इसको गुज़ारने के लिए मानों ख्याल के सदियों पुराने रास्ते से गुज़रना होता है जब ज़हन हर गुज़री बात को दर-गुज़र नहीं कर पाता है जब याददाश्त खुद गुजरने के जगह हमें गुज़री यादों में उलझा देख गुजरने को छोड़ देती है घड़ी की सुईयां तो गुज़रती हैं मगर हम वहीँ रहते हैं हम गुज़रने का नाम नहीं लेते ऐसे ही एक दिन, एक महीना एक स