बारिश
आंखों पर जब,आज बूँदें गिरी
कुछ अलग सा एहसास हुआ।
लगा ये कुछ कह रहीं हैं,
नए दिन की शुरुआत की, दोस्तों से मुलाकात की।
फिर से वही अटखेलियां,
हंसना, बातें करना , पढ़ना, झगड़ना।।
सोचकर ही हल्की सी मुस्कान,
चेहरे पर छा गई।
आँखें अभी भी बंद थी अौर हाथ फैले हुए,
लग रहा था मानो, इस बारिश के थमने से पहले,
उन लम्हों को समेट लूं,
जो घर पर अपनों के साथ बिताया है।
बरसती हुई बूँदें याद दिला रही थी वो पल,
चेहरे पर मुस्कान अब भी बनी थी,
मुस्कान बरकरार रखते हुए, आँखें खोलनी शुरू