एक खता
सोई तू भूखी जिससे दिल मेरा न रोये उसकी नाराज़गी से देखो न माँ आज दिनों हो गए भूका सोये रातों में जग जग कर तू मुझे सहलाती थी नींद तेरी टूटती पर मुझे प्यार से सुलाती थी माँ, कुछ सुनाऊँगी तो क्या सुनेगी थक कर हार गईं हूँ क्या मेरी हार में मेरे साथ रहेगी। माँ तेरे वो कदम मेरे कानों में गूंजते है हिचकोली मार मार ये दिल रो पड़ता है सुकून पहला सा ढूँढ़ने को कहीं चल पड़ता है माँ कहीं तो निकल पड़ता है माँ , सुन न माँ वो सितारा बहुत टिम टिम करता है लगता है मुझे रोता देख तेरा दिल भी बहुत मचल