तुम दूर क्यों खड़े हो, यह आओ आकर कुछ बोलो तो सही
अल्फ़ाज़ बैठे हैं इंतज़ार में तुम सिले होठ खोलो तो सही
बताओ सभी को की कैसे तुम मुस्कुराते हो
कैसे ख़ुद को तुम हर रोज़ जीना सिखाते हो
कितना कुछ ज़िंदगी में अब तक सहा है तुमने
क्यों चुप से बैठे रहे क्यों कुछ नहीं कहा है तुमने
ये भी बताना की तुम्हारे ख़ुश होने का राज़ कौन है
जो छोड़ गए जाने दो ये बताओ साथ आज कौन है
तुम दूर क्यों खड़े हो, यह आओ आकर कुछ बोलो तो सही
अल्फ़ाज़ बैठे है इंतज़ार में तुम सिले होठ खोलो तो सही
-शुभम शेषांक